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Wednesday 20 March 2013

उपभोक्ता अदालतें भी करती हैं भेदभाव!

एक साधारण व्यक्ति की मौत की कीमत मात्र बावन हजार रुपये है, जबकि ब्रिटिश एयरवेज में यात्रा करने में सक्षम व्यक्ति का थैला गुम हो जाने के कारण थैला धारक हो हुई परेशानी की कीमत एक लाख रुपये। विलम्ब से खाना परोसने और तीन घण्टे विलम्ब से गन्तव्य पर पहुँचने की कीमत 70 हजार रुपये। इससे ये बात स्वत: ही प्रमाणित होती है कि उपभोक्ता अदालतें, उपभोक्ता कानून के अनुसार नहीं, बल्कि उपभोक्ता अदालत के समक्ष न्याय प्राप्ति हेतु उपस्थित होने वाले पीड़ित व्यक्ति की हैसियत देखकर फैसला सुनाती हैं।

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’


उपभोक्ता अदालतों के फैसलों पर यदि गौर करें तो पायेंगे कि समाज के विभेदकारी ढॉंचे की भॉंति उपभोक्ता अदालतों द्वारा भी न्याय करते समय खुलकर लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है। जिसके बारे में ऐसी कोई नियंत्रक कानूनी या संवैधानिक व्यवस्था नहीं है, जो निष्पक्षतापूर्वक स्वत: ही गौर करके या विभेदकारी निर्णयों का परीक्षण करके या शिकायत प्राप्त होने पर गलत या मनमाने निर्णय करने वाले न्यायाधीशों के खिलाफ दण्डात्मक एवं सुधारात्मक कार्यवाही कर सके।

पिछले दिनों दिल्ली की एक उपभोक्ता अदालत ने एक यात्री के सफर के दौरान सामान गुम हो जाने से ब्रिटिश एयरवेज को उसे एक लाख रुपया अदा करने का निर्देश दिया है। गुम होने वाला सामान भी मात्र एक थैला था, जिसमें कुछ जरूरी कागजात थे। जिसको उपभोक्ता अदालत ने इतनी गम्भीरता से लिया कि शिकायत कर्ता को एक लाख रुपये अदा करने का आदेश जारी कर दिया। जबकि इसके ठीक विपरीत भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा समय पर मुआवजा राशि अदा नहीं करने के कारण गुर्दा रोग पीड़ित पालिसी धारक की मृत्यु हो गयी। इस मामले में अररिया के जिला उपभोक्ता फोरम ने अपना फैसला सुनाते हुए मृतक की पत्नी को मात्र बावन हजार रुपया भुगतान करने का आदेश दिया है।

कुछ समय पूर्व एक निर्णय पढने को मिला जिसमें एक उच्च स्तरीय होटल में खाना परोसने में आधा घण्टा विलम्ब हो गया, जिसके कारण उपभोक्ता को जिस प्लेन से जाना था, वह उससे नहीं जा सका और उसे दूसरी प्लेन से जाना पड़ा जिसमें उसे कुछ अधिक राशि किराये के रूप में अदा करनी पड़ी और वह अपने गन्तव्य पर तीन घण्टे विलम्ब से पहुँच पाया। इस मामले में उपभोक्ता अदालत ने उपभोक्ता को हुई परेशानी और विलम्ब के लिये होटल प्रबन्धन पर 70 हजार रुपये का हर्जाना लगाया और उपभोक्ता की ओर से प्लेन में भुगतान किया गया अतिरिक्त किराया अदा करने का आदेश भी दिया गया।

उपभोक्ता अदालतों के उपरोक्त फैसलों पर गौर करें तो हम पायेंगे कि पहले और तीसरे केस में उपभोक्ता की हैसियत इतनी है कि वह हवाई जहाज में यात्रा करने में सक्षम है, जबकि दूसरे मामले में उपभोक्ता की हालत ये है कि जीवन बीमा निगम की ओर से समय पर मुआवजा नहीं मिलने के कारण वह अपने उपचार के लिये अन्य वैकल्पिक साधनों से रुपयों की व्यवस्था नहीं कर सका और वह असमय मौत का शिकार हो गया।

ऐसे में एक साधारण व्यक्ति की मौत की कीमत मात्र बावन हजार रुपये है, जबकि ब्रिटिश एयरवेज में यात्रा करने में सक्षम व्यक्ति का थैला गुम हो जाने के कारण थैला धारक हो हुई परेशानी की कीमत एक लाख है। विलम्ब से खाना परोसने और तीन घण्टे विलम्ब से गन्तव्य पर पहुँचने की कीमत 70 हजार रुपये। इससे ये बात स्वत: ही प्रमाणित होती है कि उपभोक्ता अदालतें, उपभोक्ता कानून के अनुसार नहीं, बल्कि उपभोक्ता अदालत के समक्ष न्याय प्राप्ति हेतु उपस्थित होने वाले पीड़ित व्यक्ति की हैसियत देखकर फैसला सुनाती हैं। 

ऐसे विभेदकारी निर्णयों से आम लोगों को निजात दिलाने के लिये हमारी लोकतांत्रिक सरकारें कुछ भी नहीं कर रही हैं। जनप्रतिनिधियों को जनता के साथ होने वाले इस भेदभाव की कोई परवाह नहीं है। यहॉं तक कि इस प्रकार के मनमाने निर्णयों के बारे में पूरा-पूरा कानूनी ज्ञान रखने वाले अधिवक्ताओं को भी अपने मुवक्किलों के साथ हो रहे इस प्रकार के खुले विभेदकारी अन्याय की कोई परवाह नहीं है।

उपभोक्ता अधिकारों के लिये सेवारत संगठनों की ओर से भी इस बारे में कोई आन्दोलन या इस प्रकार का कार्यक्रम नहीं चलाया जाता है, जिससे लोगों को अपने साथ होने वाले विभेद और उपभोक्ता अदालतों की मनमानी का ज्ञान हो सके और इससे बचने का कोई रास्ता मिल सके। ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 14 में मूल अधिकार के रूप में इस बात का उल्लेख होना कि ‘‘कानून के समक्ष सभी को समान समझा जायेगा और सभी को कानून का समान संरक्षण प्राप्त होगा।’’ कोई मायने नहीं रखता।

Tuesday 12 March 2013

वेब पोर्टल निपटा रहे उपभोक्ता शिकायतें

वेब पोर्टल निपटा रहे उपभोक्ता शिकायतें
नई दिल्ली, सौरभ सुमन

टीवी-फ्रिज से लेकर हवाई यात्रा संबंधित शिकायतों तक का निपटारा कराते हैं ये पोर्टलउपभोक्ता फोरम में शिकायतों की लंबी फेहरिस्त से बचने और कंपनी से खरीदे किसी सामान से जुड़ी समस्या के जल्द समाधान के लिए उपभोक्ताओं ने नए तरीके ढूंढ़ने शुरू कर दिए हैं। इसमें बड़ी भूमिका निभा रही हैं वेब पोर्टल कंपनियां। भारत में वेब पोर्टल के जरिए उपभोक्ता वस्तुओं से जुड़ी शिकायतों के समाधान का यह नया ट्रेंड है। उपभोक्ता अब टेलिविजन, फ्रिज, टेलिफोन, ऑनलाइन शॉपिंग और उपभोग से जुड़ी तमाम चीजों में आई समस्या का समाधान करने में वेबपोर्टल कंपनियों की मदद लेने लगे हैं।

ऐसी ही एक सेवा प्रदाता वेबपोर्टल कंपनी अकोशाडॉटकॉम के सीईओ अंकुर सिंगला कहते हैं कि भारत में इस तरह की सेवा अभी शुरुआती अवस्था में है। लेकिन जैसे-जैसे इंटरनेट के इस्तेमाल का दायरा बढ़ेगा और उपभोक्ताओं में अपने अधिकार को लेकर जागरुकता बढ़ेगी, ऑनलाइन शिकायतों में भी उसी हिसाब से इजाफा होगा। लोग शिकायतों का जल्द समाधान भी चाहेंगे। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में इस तरह की सेवा प्रदान करने के कारोबार में इजाफा होगा।

उधर, नाम न छापने की शर्त पर मुंबई स्थित जानी-मानी वाटर प्यूरीफायर बनाने वाली कंपनी की सीनियर मैनेजर (कंज्यूमर गुड्स) कहती हैं कि कस्टमर केयर में कई बार शिकायत संबंधी फोन कॉल अधिक हो जाती हैं, इस वजह से कई उपभोक्ता हमसे संपर्क नहीं कर पाते हैं और थक कर अन्य विकल्प तलाशते हैं। वेब पोर्टल कंपनियां उपभोक्ता और कंपनी के बीच कम्यूनिकेशन चैनल की तरह काम करते हैं। वेबपोर्टल कंपनियों के पास आई शिकायतों को हमारी कंपनी के अन्दर बैठी टीम सुलझाती है।

उपभोक्ताओं का वेबपोर्टल की ओर रुझान बढ़ने के सवाल पर दिल्ली स्थित उपभोक्ता फोरम के वकील और जानकार चंद्रशेखर आश्री कहते हैं कि वेबपोर्टल कंपनियां अगर उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान फोरम जाने से पहले ही करने में मदद कर रही हैं तो समाज में इनकी भूमिका को नकारा भी नहीं जा सकता है।

नया विकल्प
कस्टमर केयर की बेरुखी और कंज्यूमर फोरम में केस की लंबी लाइन से बचने के लिए वेबपोर्टल का सहारा लेते हैं लोग
समय अभाव और भागादौड़ी से बचने की वजह से भी उपभोक्ता वेबपोर्टल कंपनियों से लेने लगे हैं सहायता
एक वेब पोर्टल के मुताबिक हजार में एक ग्राहक फोरम में करते हैं शिकायत
वेब पोर्टल कंपनियों को सबसे अधिक शिकायतें टेलीकॉम सेक्टर से मिलती हैं
सोशल साइट्स पर उपभोक्ताओं की शिकायतों का लगा है अंबार
गंभीर मामलों में यह कंपनियां उपभोक्ता को फोरम में भी मदद करती हैं

उपभोक्ता फोरम में लंबित मामले         फोरम लंबित मामले

देशभर की उपभोक्ता फोरम                  3.5 लाख
जिला उपभोक्ता फोरम                        2.5 लाख
राज्य उपभोक्ता फोरम                        93,839
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग                     10,230
(आंकड़े 21 दिसंबर 2012 तक, स्त्रोत- एनसीआरडीसी)

देशभर में सेवाएं दे रहीं कंपनियां

500-2000 रुपये की फीस लेती हैं ये वेब पोर्टल कंपनियां उपभोक्ता की शिकायतों के निपटारे के लिए।
स्त्रोत : लाइव हिन्दुस्तान। 07.03.13

Wednesday 12 December 2012

फोरम ने 12 हजार की क्षतिपूर्ति का दिया फैसला| स्कूल के समीप तम्बाकू,तेरह लोगों को जुर्माना| कंपनी ने गलती स्वीकार की गलती, 10 हजार जुर्माना|

फोरम ने 12 हजार की क्षतिपूर्ति का दिया फैसला

पीलीभीत : उपभोक्ता फोरम ने गेहूं बीज में अन्य वैरायटी मिश्रित होने से पैदावार में हुई क्षति के मामले में एक किसान को 12 हजार की क्षतिपूर्ति दिए जाने का फैसला दिया है।

पूरनपुर तहसील के ग्राम जरा निवासी कमलजीत ने किसान सेवा सहकारी समिति शिवनगर, पूरनपुर और मैसर्स जसवंती क्वालिटी सीड्स पूरनपुर के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम में वाद दायर किया था। कमलजीत ने विपक्षी पार्टी पर यह आरोप लगाया कि उसने यहां से जो गेहूं बीज खरीदा था, उसमें अन्य प्रजातियां मिली होने के कारण पैदावार को काफी नुकसान पहुंचा था। इस पर पीड़ित ने 99 हजार का दावा भी फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया था। दोनों पक्षों के बीच हुई सुनवाई के बाद फोरम ने इस मामले में फैसला सुना दिया है। जिसमें फोरम ने कमलजीत का पक्ष लेते हुए निर्णय सुनाया कि 10 हजार रुपये आर्थिक और मानसिक क्षतिपूर्ति और दो हजार रुपये वाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क के तौर पर कुल 12 हजार रुपये पीड़ित किसान को मिलना चाहिए।
स्त्रोत : जागरण, 10.12.12
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स्कूल के समीप तम्बाकू,तेरह लोगों को जुर्माना

सुपौल, जागरण प्रतिनिधि: विद्यालय के नजदीक दुकानों में तम्बाकू निर्मित सामानों की बेरोकटोक की जा रही बिक्री के बाबत पुलिस प्रशासन सजग दिखने लगा है। मंगलवार को सुपौल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने जिला मुख्यालय स्थित चार सरकारी शिक्षण संस्थानों के पास दुकानों में छापामारी कर 13 दुकानदारों को जुर्माना किया। ये सरकारी शिक्षण संस्थान आदर्श मध्य विद्यालय, बमवि चकला निर्मली, हजारी उच्च विद्यालय व डिग्री कालेज हैं। डीएसपी मनोज कुमार ने बताया कि सरकारी संस्थानों के समीप सौ गज के दायरे में तम्बाकू निर्मित कोई भी सामान बेचना कानूनन अपराध है। इसी के मद्देनजर उक्त चारों सरकारी शिक्षण संस्थानों के पास के 13 दुकानों में छापामारी की गई जहां तम्बाकू निर्मित सामान बेचते पाया गया। उक्त सभी दुकान से सम्बन्धित दुकानदारों को दो-दो सौ रुपये जुर्माना किया गया है। इधर डीएसपी द्वारा किए गए इस छापामारी से बाजार में तम्बाकू निर्मित सामानों की बिक्री करने वाले दुकानदारों के बीच हड़कम्प मच गया और अपने-अपने दुकानों से तम्बाकू निर्मित सामानों को दुकान से बाहर अन्यत्र रख दिया।
स्त्रोत : जागरण, 11.12.12
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कंपनी ने गलती स्वीकार की गलती, 10 हजार जुर्माना

जागरण संवाद केंद्र, बहादुरगढ़ : फसल में दीमक पर नियंत्रण के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाई के सैंपल फेल होने के मामले में संबंधित कंपनी ने सोमवार को बहादुरगढ़ की अदालत में अपना गुनाह कबूल कर लिया। ऐसे में अदालत ने कानूनी तौर पर फैसला लेते हुए कंपनी पर 10 हजार रुपये जुर्माना किया है।

पिछले दिनों कंपनी की याचिका को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। कंपनी की ओर से इस याचिका में निचली अदालत में कृषि विभाग की ओर से दायर किए गए केस को खत्म करने की अपील की गई थी।

मामला तो कई वर्ष पुराना है लेकिन संबंधित कंपनी की ओर से यह याचिका दो साल पहले दायर की गई थी। जिस पर पिछले सप्ताह पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने यह फैसला दिया। कृषि विभाग की ओर से वर्ष 2003 में क्लोरोपायरीफोर्स दवाई का सैंपल लिया गया था। यह दवाई फसल में दीमक के खात्मे के लिए इस्तेमाल की जाती है। बाद में जब इस दवाई का सैंपल फेल हुआ तो कृषि विभाग की ओर से उच्चाधिकारियों की अनुमति के बाद दवाई का निर्माण करने वाली गुड़गाव की कंपनी धानुका एग्रीकेट (तब नार्दन मील्स) के खिलाफ बहादुरगढ़ की अदालत में केस दायर कर दिया था। बाद में इस कंपनी ने वर्ष 2010 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की और इसमें यह माग की गई कि निचली अदालत में उसके खिलाफ चल रहे केस को रद किया जाए। न्यायालय ने कंपनी की अपील को ठुकराते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। ऐसे में बहादुरगढ़ न्यायालय में इस केस की सुनवाई शुरू हुई तो कंपनी ने अपना गुनाह ही कबूल कर लिया। इस पर अदालत ने कंपनी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना किया।
स्त्रोत : जागरण, 12.12.12
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Monday 7 May 2012

इंमीग्रेशन कंपनी पर ठोंका दो लाख हर्जाना

इंमीग्रेशन कंपनी पर ठोंका दो लाख हर्जाना
Jagran, Updated on: Sun, 06 May 2012 01:04 AM (IST)

जागरण संवाददाता, बरनाला

दो विद्यार्थियों को स्टडी वीजा के आधार पर विदेश भेजने के नाम पर करीब दस लाख रुपये की चपत लगाने वाली दो इमीग्रेशन कंपनियों पर जिला उपभोक्ता फोरम ने दो लाख रुपये हर्जाना ठोंका है। साथ ही वसूली गई राशि छह प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं।

जानकारी के अनुसार सतनाम सिंह व गगनदीप सिंह दोनों निवासी मूंम, जिला बरनाला ने 28 जुलाई 2011 को जिला उपभोक्ता फोरम में केस दायर कर बताया कि उन्होंने 2004 में प्लस टू की शिक्षा पूरी करने उपरांत स्टडी वीजा के आधार पर विदेश जाने के लिए सिविफट इंमीग्रेशन कंपनी खन्ना के मालिक संदीप कुमार राठी से संपर्क किया जिन्होंने उन्हें अपने पार्टनर सुनील कुमार जौली निवासी राजपुरा, उसकी पत्‍‌नी मीनावती जौली, एचडीएफसी बैंक के अधिकारी युवराज भंडल खन्ना, आरटीएस इंमीग्रेशन कंपनी खन्ना के मालिक मनप्रीत रंधावा को मिलाया। उक्त सभी व्यक्तियों ने बताया कि वह उन्हें इंटरनेशनल बिजनेस स्टडी स्कूल यूके में दाखिल करवा देंगे। इसके लिए उन्होंने विभिन्न किश्तों के जरिए प्रति विद्यार्थी 4,23,000 रुपये वसूले। साथ ही कहा कि उन्हें विदेश जाने से पहले अपने बैंक खाते में दस-दस लाख रुपये दिखाने होंगे।

इसमें असमर्थता जताने पर उक्त व्यक्तियों ने कहा कि वह उक्त राशि खुद उनके खातों में जमा करवा देंगे, मगर इसका ब्याज प्रति विद्यार्थी 70 हजार अलग से देना होगा, जो दोनों ने दे दिया। परंतु उक्त लोगों ने जरूरत की राशि अपनी तरफ से बैंक में जमा नहीं करवाई, जिसके आधार पर उनका स्टडी वीजा रद हो गया।

विद्यार्थियों ने कहा कि हमारे रुपये लौटाने की बजाय आरोपी लंबे समय तक उन्हें हंगरी अथवा सिंगापुर भेजने का वादा करते रहे। आखिर में उन्होंने पैसे लौटाने व स्टडी वीजा के आधार विदेश भेजने से साफ इन्कार कर दिया।

इस पर उन्होंने उपभोक्ता फोरम में न्याय की गुहार लगाई। फोरम ने केस में शामिल उक्त सभी व्यक्तियों को सम्मन किए परंतु लंबे समय तक उन्होंने सम्मन तामील ही नहीं किए जिसके बाद अदालत ने समाचार पत्रों में इशतहार देकर ही सम्मन तामील करवाए। फोरम के प्रधान जज संजीव दत्त शर्मा की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने उपरांत उक्त इमीग्रेशन कंपनियों के व्यवहार को अनुचित करार देकर दोनों विद्यार्थियों से वसूली राशि छह प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने तथा दोनों विद्यार्थियों को एक-एक लाख रुपये हर्जाने के तौर पर तीस दिनों के भीतर अदा करने के आदेश दिए।

सामान गुम करने वाली कोरियर कंपनी पर जुर्माना

सामान गुम करने वाली कोरियर कंपनी पर जुर्माना
Updated on: Mon, 07 May 2012 01:00 AM (IST)

नई दिल्ली, जासं : तय समय पर सामान की डिलीवरी न कर, उसे गुम कर देने वाली एक कोरियर कंपनी पर मध्य दिल्ली उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष बीबी चौधरी ने 34 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि यह जुर्माना राशि शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी।

पूर्वी दिल्ली निवासी एनके जैन ने मध्य दिल्ली उपभोक्ता फोरम में ब्लेज फ्लैश नामक कोरियर कंपनी के खिलाफ शिकायत दायर की थी। अपनी शिकायत में एनके जैन का कहना था कि उनका ड्राइंग डाई और कलपुर्जे बनाने का काम है। उन्होंने 24 मार्च 2008 को उक्तकोरियर कंपनी के पास एक कंसाइनमेंट अपार इंडस्ट्रीज में भेजने के लिये बुक कराया। कोरियर कंपनी ने उसका सामान कंपनी में न तो पहुंचाया और न ही वापस किया। पूछने पर पता चला कि उनके द्वारा भेजा गया सामान कोरियर कंपनी से गुम हो गया है। कोरियर कंपनी की इस लापरवाही से एनके जैन को 24 हजार रुपये का नुकसान हुआ। जब उसने नुकसान की राशि कोरियर कंपनी से मांगी तो कोरियर कंपनी ने नुकसान की भरपाई करने से मना कर दिया। लिहाजा, एनके जैन को मामले का निपटारा करने के लिए उपभोक्ता फोरम की शरण लेनी पड़ी।-Jagran

Sunday 6 May 2012

सीवरेज-पेयजल कनेक्शन न देने पर 25 हजार जुर्माना

सीवरेज-पेयजल कनेक्शन न देने पर 25 हजार जुर्माना
Jagran, Updated on: Sun, 06 May 2012 12:25 AM (IST)
जागरण संवाददाता, बरनाला

नगर कौंसिल बरनाला को एक उपभोक्ता को सीवरेज व पेयजल सप्लाई के कनेक्शन जारी नहीं करना महंगा पड़ा। जिला उपभोक्ता फोरम ने कौंसिल के अनुचित व्यवहार के बदले उसे 25 हजार रुपये हर्जाना व तुरंत कनेक्शन जारी करने के आदेश दिए हैं।

सीनू बाला पत्नी जीवन कुमार निवासी नजदीक रामा आइस फैक्टरी बरनाला ने विगत वर्ष पांच दिसंबर को जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम में केस दायर करके बताया कि उसने पंद्रह मार्च 2010 को रणधीर सिंह पुत्र हरदेव सिंह निवासी बरनाला से एक मकान खरीदा था। इसका नक्शा नगर कौंसिल बरनाला ने पंद्रह अक्टूबर 2008 को कौंसिल फीस 22 हजार 299 रुपये लेकर पास किया था। सीनू बाला ने कहा कि खरीदे गए मकान में जाने से पहले उसने नगर कौंसिल से सीवरेज व पेयजल सप्लाई के कनेक्शन जारी करने को अर्जी दी। नगर कौंसिल ने यह कहते हुए कनेक्शन जारी करने से इन्कार कर दिया कि मकान का निर्माण गैर मंजूरशुदा कालोनी में है।

इस पर सीनू बाला ने उपभोक्ता फोरम में केस दायर करके इंसाफ की गुहार लगाई। फोरम के प्रधान जज संजीव दत्त शर्मा की खंडपीठ ने नगर कौंसिल के ईओ, एसडीओ सीवरेज व पेयजल सप्लाई विभाग तथा डीलिंग हेड कृष्ण चंद को सम्मन जारी करके जबाव तलब किया। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद फोरम ने अपने निर्णय में कहा कि नगर कौंसिल व उक्त दोनों अधिकारियों ने अपने जबाव में कहा है कि उपभोक्ता का मकान अवैध कालोनी में निर्मित होने के कारण कनेक्शन जारी नहीं किया। लेकिन कौंसिल द्वारा मकान का नक्शा फीस लेकर पास करने का उनके पास कोई जवाब नहीं था।

फोरम ने शिकायतकर्ता की दलीलों से सहमत होकर कौंसिल के व्यवहार को अनुचित करार देते हुए उपभोक्ता को 25 हजार रुपये हर्जाना तथा 5 हजार रुपये केस खर्च के तौर पर 30 दिनों के भीतर अदा करने के आदेश दे दिए। फोरम ने कौंसिल को सीवरेज व पेयजल के कनेक्शन तथा एनओसी तुरंत जारी करने का आदेश दिए हैं। फोरम ने आदेश में यह भी लिखा कि अगर निकाय विभाग चाहे तो संबंधित अधिकारियों के वेतन से हर्जाना तथा केस खर्च की राशि काट सकता है।

Saturday 5 May 2012

हर्जाना और शिकायत व्यय अदा करने के आदेश

हर्जाना और शिकायत व्यय अदा करने के आदेश
Dainik Tribune Posted On May - 5 - 2012

मंडी,5 मई (निस )। जिला उपभोक्ता फोरम ने विद्युत बोर्र्ड को गलत बिल जारी करने पर तीन मामलों में उपभोक्ताओं के पक्ष में हर्जाना और शिकायत व्यय अदा करने के आदेश किये हैं।

फोरम ने उपभोक्ताओं के पक्ष में तीस दिनों में नया बिल जारी करने और अधिक वसूली गई राशि को आगामी बिलों में एडजस्ट करने के भी निर्देश दिये हैं। जिला उपभोकता फोरम के अध्यक्ष राजीव भारद्वाज और सदस्यों रमा वर्मा एवं लाल सिंह ने यह आदेश जारी किय हैं । अपने अहम फैसलों में सांबल (अपर बैहली) निवासी श्याम लाल पुत्र संत, कुसुम चंद पुत्र निका राम और रोशन लाल पुत्र केशु राम के पक्ष में हिमाचल प्रदेश राज्य विदयुत बोर्ड को क्रमश: दो-दो हजार और 1500 रुपये हर्जाना और क्रमश: पंद्रह-2 सौ व एक हजार रुपये शिकायत व्यय अदा करने के आदेश दिये हैं।

फोरम में दायर इन शिकायतोंं के मुताबिक उपभोक्ताओं ने बोर्ड से बिजली का कनेक्शन लिया था, लेकिन उपभोक्ताओंं को गलत मीटर रीडिंग के आधार पर बिल जारी किये। उपभोक्ताओं ने जब इस बारे में बोर्ड के अधिकारियों को संपर्क किया तो उन्हें मीटर काट देने की धमकी दी गई, जिसके चलते उन्होंने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई । फोरम ने अपने फैसले में कहा कि बोर्ड की ओर से इन मामलों में अपनी स्थिति जाहिर करने के संबंध में कोई सबूत पेश नहीं किये गये। फोरम ने कहा कि गलत मीटर रीडिंग के आधार पर उपभोक्ताओं को अधिक बिल जारी करना बोर्ड की सेवाओं में कमी को दर्शाता है। ऐसे में फोरम ने बोर्ड को 30 दिन में नये बिल जारी करने के आदेश दिये। वहीं पर बोर्ड की सेवाओं में कमी के चलते उपभोक्ताओं को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया।

Friday 9 March 2012

पशु चिकित्सक को 25 हजार का जुर्माना

सहरसा,जाप्र: कृत्रिम गर्भाधान के नाम पर गाय की प्रजनन क्षमता समाप्त कर देने के प्रमाणित आरोप में उपभोक्ता न्यायालय के पूर्ण पीठ ने एक भ्रमणशील पशु चिकित्सक को 24 हजार तीन सौ रुपये जुर्माना करते हुये पशु मालिक को दो माह के अंदर जुर्माना की राशि अदा करने का आदेश दिया है। उपभोक्ता न्यायालय के अध्यक्ष एसपी शुक्ला एवं सदस्य द्वय शिवानी चौधरी एवं गंगाधर प्रसाद की पूर्ण पीठ ने पशु चिकित्सक डॉ. विरेन्द्र प्रसाद गुप्ता को दो माह के अंदर उपरोक्त राशि नही देने पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से राशि अदा करने का आदेश दिया। स्थानीय गंगजला निवासी शिक्षक रामविनय सिंह ने अपने अधिवक्ता धनंजय खां एवं तारा शंकर सिंह भारती के द्वारा न्यायालय में मामला दायर कराते हुए पशु चिकित्सक पर आरोप लगाया था कि उनकी जर्सी नस्ल की गाय का पशुचिकित्सक द्वारा नवंबर 2005 में कृत्रिम गर्भाधान किया गया था एवं दवाईया दी गयी थी। फरवरी 2006 में चिकित्सक ने पुन: गाय की जांच पड़ताल कर पशु मालिक को कहा कि गाय गर्भवती है और खुशनमा के अवसर पर उनसे कुछ राशि भी वसूली थी। करीब दस माह बाद जब गाय ने बच्चा नही दिया तो पशु मालिक श्री सिंह ने दूसरे चिकित्सक से अपनी गाय का इलाज कराया तो उसे पता चला कि गलत इलाज एवं दवा के कारण गाय की प्रजनन क्षमता समाप्त हो गई है। साथ ही गाय की दूध देने की क्षमता भी समाप्त हो गई। चिकित्सक द्वारा पशु मालिक की एक बाछी का भी इलाज किया गया था जो बाद में मर गई।-Updated on: Tue, 06 Mar 2012 05:35 PM, Hindi Web Dunia

Wednesday 7 March 2012

उपभोक्ता फोरम का आदेश नहीं मानने पर एक वर्ष की सजा

यमुनानगर, मुख्य संवाददाता : जिला उपभोक्ता विवाद निस्तारण फोरम के आदेशों को ठेंगा दिखाना एक कंपनी संचालक को भारी पड़ गया। फोरम ने उसे एक वर्ष कैद और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न चुकाने पर एक माह की अतिरिक्त कैद काटनी पड़ेगी।

गांव खेड़ी दर्शन सिंह निवासी जसबीर सिंह ने गेटवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक जेडी सुरजीत सिंह के पास 8 नवंबर 2004 को कंपनी की योजना के तहत मारुति कार लेने के लिए 10,400 रुपये जमा करवाए थे। इसके अगले महीन 10,400 रुपये फिर जमा करवाए गए। तीन महीने के भीतर कार मिलने के आश्वासन पर उसने 29 दिसंबर को फिर 10,400 रुपये जमा करवाए।

तीन माह बाद जब जसबीर सिंह ने सुरजीत से संपर्क किया तो उसे 70 हजार और जमा करवाने को कहा गया, जो कि जसबीर ने 8 अप्रैल 05 को जमा करवा दिए। इसके बावजूद न तो उसे गाड़ी दी गई और न ही राशि लौटाई गई। इस पर जसबीर सिंह मामले को जिला उपभोक्ता एवं निस्तारण फोरम में ले गया।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फोरम ने 27 अक्टूबर 10 को दिए फैसले में कंपनी संचालक को 90,800 रुपये का उपभोक्ता को 9 फीसदी की दर से भुगतान के अलावा कानूनी खर्चे के तौर पर 3300 रुपये देने को कहा। लेकिन, सुरजीत ने कोई राशि अदा नहीं की जिस पर गत 4 जनवरी को उसे जेल भेज दिया गया। कोर्ट में पेश होकर सुरजीत ने बताया कि उसकी बेटी की शादी है और वह दो महीने के भीतर राशि अदा कर देगा। इस पर उसे दो माह की मोहलत दे दी गई।

निर्धारित समय में भी जब सुरजीत ने अपने वादे का पालन नहीं किया तो मामला फिर उपभोक्ता फोरम में पहुंचा। सुरजीत ने फोरम में पेश होकर कहा कि वह गरीब है तथा दो छोटे बच्चों के अलावा अपाहिज पत्नी का भार उस पर है। इसलिए उसे सजा से माफी दी जाए। अपने फैसले में फोरम के अध्यक्ष दीनानाथ अरोड़ा व सदस्य डॉ. वीके शर्मा ने कहा कि आरोपी अपनी कंपनी खोलकर पैसे लेकर सदस्य बनाता था व उन्हें कम कीमत में वाहन देने के वादे कर उपभोक्ताओं को लुभा रहा था। जसबीर ने भी झांसे में आकर मोटी राशि जमा करवाई, लेकिन उसे न तो कार दी गई और न ही राशि लौटाई। यहां तक कि फोरम का आदेश भी नहीं माना। ऐसे व्यक्ति को छोड़ने से समाज में गलत संकेत जाएगा।

फोरम ने आरोपी सुरजीत सिंह को एक साल कैद की सजा सुनाने के साथ ही 5000 रुपये जुर्माना किया। इसके खिलाफ अपील दायर करने के लिए समय मांगने पर फोरम 9 अप्रैल तक के लिए एक लाख रुपये की जमानती आदेश दिए।-Updated on: Wed, 07 Mar 2012 07:57 PM, Jagran

Monday 5 March 2012

मुखिया सदानंद सिंह पर लगाया जुर्माना

मरकच्चो (कोडरमा) : मनरेगा कानून-2005 के तहत 15 दिनों के अंदर मजदूर की मजदूरी भुगतान नहीं करने के आरोप में मनरेगा कानून धारा 25 के तहत मरकच्चो प्रखंड के महुंगाय पंचायत के मुखिया सदानंद सिंह पर बीडीओ सह मनरेगा योजना के मुख्य कार्यक्रम पदाधिकारी हीरा कुमार ने 1000 रुपये का जुर्माना लगाया है। बीडीओ हीरा कुमार ने कहा कि यह जुर्माना योजना संख्या 4/10-11 में लगाया गया है। योजना के तहत महुंगाय निवासी नारायण साव के खेत में 12 फीट व्यास का कूप निर्माण कराया गया है, जिसमें काम कर रहे मनरेगा मजदूर की आठ माह से मजदूरी लंबित थी। इसके तहत उनपर जुर्माना लगाया गया।
Updated on: Mon, 05 Mar 2012 09:45 PM, Jagran

Wednesday 22 February 2012

उपभोक्ता अदालत का फैसला

उपभोक्ता अदालत का फैसला

कुरुक्षेत्र : जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने अंसल प्रॉपर्टीज एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा सुरेन्द्र एंड कम्पनी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि अंसल प्रॉपर्टी 30 दिनों के भीतर उपभोक्ता संगीता रानी को 3 लाख 5 हजार रुपए अदा करे वरना 8 प्रतिशत सलाना ब्याज भी अदा करना होगा। कोर्ट के आदेशानुसार संगीता रानी पत्नी विरेन्द्र कुमार, अग्रवाल ब्रदर्स, पालिका बाजार, जिला कुरुक्षेत्र तथा सोहन लाल, अग्रवाल बुक डिपो ने अंसल प्रॉपर्टी कालोनाइजर से सुरेन्द्र एंड कम्पनी प्रॉपर्टी एडवाइजर के माध्यम से 300 वर्गगज का प्लाट 5 मई 2006 को खरीदा जिसके लिए उपभोक्ता ने अग्रिम राशि 3 लाख रुपए अदा किए। उपभोक्ता ने अदालत को बताया कि कम्पनी के नियमों अनुसार आवेदन करने के 12 महीनों के भीतर प्लाट अलाटमैंट करने का आश्वासन कम्पनी द्वारा दिया गया था मगर समय बीतने के बाद भी कम्पनी द्वारा कोई अलाटमैंट नहीं की गई।

इतना ही नहीं कालोनी में डिवैल्पमैंट के नाम पर कोई काम नहीं हुआ। उसके बाद शिकायतकर्ता ने 24 मई 2007 को ब्याज समेत पूरी रकम वापस करने को कहा, मगर कम्पनी के अधिकारियों ने कोई परवाह नहीं की बल्कि कम्पनी ने 300 गज की बजाय 263 गज के प्लाट की अलाटमैंटशिकायतकर्ता के नाम कर दी। जिस पर पीडि़त ने उपभोक्ता अदालत की शरण ली। 

जहां जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद तथा सदस्य हवा ङ्क्षसह नैन ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया कि अंसल कालोनाइजर शिकायतकर्ता को 30 दिनों के भीतर 3 लाख रुपए का रिफंड करे तथा मानसिक उत्पीडऩ की एवज में 5 हजार रुपए जुर्माना अदा करे वरना 8 प्रतिशत सलाना ब्याज भी अदा करना होगा।-Panjab Kesri, 21.02.12

Thursday 9 February 2012

यात्रा में कठिनाई के लिए एयर इंडिया पर जुर्माना

कोलकाता [जागरण संवाददाता]। उपभोक्ता अदालत ने एयर इंडिया को यात्री सेवाओं में लापरवाही का दोषी करार देते हुए एक लाख रुपये का जुर्माना ठोंका है। नई दिल्ली उपभोक्ता विवाद निपटारा मंच की सीके चतुर्वेदी, आरएस चौधरी और आशा कुमार की खंडपीठ ने एयरलाइंस को पीड़ित हवाई यात्री को 30 दिनों के अंदर बतौर हर्जाना 95,000 रुपये का भुगतान करने को कहा है। इस राशि के लिए 25 हजार रुपये दिल्ली हवाई अड्डे पर लापरवाही के दोषी कर्मियों के वेतन से काटे जाएंगे। कोलकाता स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस हवाई अड्डे के दोषी कर्मियों के वेतन से दस हजार कटेंगे।

इस बाबत पश्चिम बंगाल के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी पीके अग्रवाल ने उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी। वह 11 मार्च, 2011 को एयर इंडिया की फ्लाइट से दिल्ली से कोलकाता आ रहे थे। तब उन्हें गलत बोर्डिंग पास मिलने से 40 मिनट तक परेशान होना पड़ा। अग्रवाल जब कोलकाता हवाई अड्डे पर पहुंचे तो वहां उनका सामान नदारद था। 'अराइवल डेस्क' पर उनकी मदद करने वाला कोई नहीं था। उपभोक्ता अदालत ने मामले पर गौर करने के बाद कहा कि सामान के लापता होने में पूरी तरह दिल्ली हवाई अड्डे के ग्राउंड स्टाफ की गलती थी।, Jagran Updated on: Thu, 09 Feb 2012 09:47 PM (IST)

एकता कपूर पर 50 हजार का जुर्माना

एकता कपूर पर 50 हजार का जुर्माना
मुंबई. धारावाहिक ‘सास भी कभी बहू थी’ और ‘कहानी घर-घर की’ की डायरेक्टर और प्रोड्यूसर एकता कपूर को मुंबई एयरपोर्ट पर एक बार फिर कस्टम ड्यूटी के मामले में रोका गया। बाद में कस्टम ड्यूटी चुकाने के बाद उन्हें एयरपोर्ट से जाने दिया गया। एकता को कस्‍टम अधिकारियों ने रविवार की रात उस वक्‍त रोका, जब वह बैंकाक से मुंबई लौटीं। वह जब ग्रीन चैनल से गुजर रही थीं तो अधिकारियों ने उन्‍हें रोककर बैग की जांच की जिसमें कुछ ऐसे सामान थे जिन्‍हें कस्‍टम की ओर से क्लियरेंस नहीं मिला था। बाद में 50 हजार रुपये का जुर्माना भरने पर उन्‍हें छोड़ दिया गया।

गौरतलब है कि इससे पहले अगस्‍त में भी एकता जब बैंकाक से तकरीबन 10 लाख की लक्जरी आइटम्स के साथ मुंबई पहुंचीं तो उन्‍हें रोका गया था। उनके पास 8 लाख रुपयों की कस्टम ड्यूटी का क्लीयरेंस था, आरोप है कि 2 लाख रुपयों की कस्टम ड्यूटी छिपाकर वो एयरपोर्ट से बाहर निकलने की तैयारी में थीं। कस्टम विभाग ने एविएशन का मामला बनाकर एकता पर 30 हजार रुपयों का जुर्माना किया और 2 लाख रुपयों के लक्जरी आइटम्स की कस्टम ड्यूटी भरने के बाद उन्हें छोड़ा गया।-दैनिक भास्कर, ०९.०२.२०१२

Thursday 2 February 2012

वादे के अनुरूप सुविधाएं नहीं उपलब्ध कराई: सारा खर्च मय ब्याज वापस


यदि आप किसी संस्था द्वारा लुभावने वादों के सहारे कहीं छुट्टियाँ बिताने की सोच रहे तो एक नज़र इस खबर पर भी डाल लें। जिसके अनुसार, सिकंदराबाद उपभोक्ता अदालत में एक मामला आया था, जिसमें सिकंदराबाद के ही पार्थसारथी दंपत्ति को आरसीआई इंडिया नामक एक संस्था द्वारा गेमावत रिजॉर्ट के ‘द विलेज’ नामक जगह पर छुट्टी बिताने का आमंत्रण मिलने के बाद बेहतर सेवा और किफायती दाम के वादे पर यकीन करते हुए पार्थसारथी दंपति ने द विलेज में स्टूडियो अपार्टमेंट बुक कराया। पार्थसारथी दंपति जब वहां पहुंचे तो उन्होंने पाया कि कंपनी ने वादे के अनुरूप सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं।


बाद में जब दंपति ने आरसीआई इंडिया को नोटिस भेजा तो उसने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि उसका और गेमावत रिजॉर्ट का व्यावसायिक संबंध अब खत्म हो गया है। इस पर जिला उपभोक्ता अदालत ने आरसीआई की इस दलील को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने इस धोखाधड़ी में आरसीआई इंडिया और गेमावत रिजॉर्ट दोनों को कसूरवार माना और कहा कि भले ही गेमावत रिजॉर्ट ने पार्थसारथी दंपति से पैसे वसूले, लेकिन उसका कमीशन आरसीआई को भी मिला है। अदालत ने पार्थसारथी दंपति द्वारा दिए गए 1,15,175 रुपये नौ फीसदी ब्याज के साथ अदा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने 10,000 रुपये मुआवजा और 1,000 रुपये अदालती खर्च का भुगतान भी करने के आदेश दिए। इस मामले में दोनों कंपनियों की पुनरीक्षण याचिका राज्य और शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने भी खारिज कर दी।-Adalat, Posted: 01 Feb 2012 09:11 PM PST

Tuesday 10 January 2012

आरटीआई के जरिए मांगी जानकारी न देने पर डीटीओ को जुर्माना

कार्यालय प्रतिनिधि, मानसा! जिला उपभोक्ता फोरम मानसा (पंजाब) ने एक व्यक्ति द्वारा जिला ट्रांसपोर्ट अफसर (डीटीओ) से आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी न देने पर संबंधित अफसर को 10 हजार रुपये का जुर्माना व शिकायतकर्ता द्वारा मांगी सूचना देने का फैसला सुनाया है।

मानसा निवासी अलविंदर गोयल ने 8 नवंबर, 2011 को जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत करके जिला ट्रांसपोर्ट अफसर मानसा द्वारा उनको आरटीआई के जरिए मांगी जानकारी न देने की शिकायत दर्ज करवाई। जिसका फैसला सुनाते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष एसडी शर्मा, सदस्य नीना गुप्ता व शिव पाल बंसल ने जिला ट्रांसपोर्ट अफसर को 10 हजार रुपये जुर्माना व शिकायतकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी देने का हुक्म सुनाया है।
Posted on: Fri, 06 Jan 2012 10:35 PM (IST) in Jagran

Tuesday 13 December 2011

'बैंकिंग नहीं, ये लूट है' !

जयपुर। लोन चुकाने के बाद बकाया निकाल देने पर उपभोक्ता मंच ने एक निजी बैंक पर न केवल आठ लाख रूपए का जुर्माना लगाया बल्कि बैंक की इस करतूत को लूट करार दिया है। मंच ने आदेश में कहा कि बैंक इससे बड़ा धोखा किसी उपभोक्ता के साथ नहीं कर सकता।

वैशाली नगर में रहने वाले डॉ. आलोक सक्सेना के परिवाद पर जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण ने यह आदेश दिया। आलोक ने अधिवक्ता इदरिस मुगल के मार्फत दायर परिवाद में बताया कि उसने 2006 में एक कार के लिए आईसीआईसीआई बैंक से 5.25 लाख का लोन लिया था। कुछ किश्तें देने के बाद उन्होंने जनवरी 2007 में पूरे लोन की अदायगी के लिए 499,769 रूपए जमा कराए और फुल एण्ड फाइनल की रसीद ले ली।

एनओसी के बदले निकाला बकाया
इसके बाद बैंक ने एनओसी देने के बजाय ईसीएस के जरिए भुगतान हासिल करने की कोशिश की। चेक बाउंस होने पर पेनल्टी लगाते हुए आठ महीने में करीब 25 हजार रूपए बकाया और निकाल दिए। आलोक ने दायर मामले में कहा कि रूपए देने के बाद भी बैंक की ओर से धमकी भरे फोन आने लगे। यहां तक कि उनका नाम क्रेडिट इन्फोरमेशन ब्यूरो लि. की ब्लैक लिस्ट में दर्ज कर दिया गया।

ये कैसी बैंकिंग
सुनवाई के बाद मंच ने माना कि उपभोक्ता ने सात महीने में 81,690 रूपए अदा किए। इसमें 20419 रूपए ब्याज के और 61,271 रूपए मूल पेटे जमा हुए। इस आधार पर लोन चुकता करने के लिए जमा हुए 499769 रूपए बैंक की राशि से करीब 36 हजार रूपए ज्यादा थे। बैंक ने बकाया निकाला, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि यह रकम किस बात के लिए ली जा रही है।

निजी बैंक पर लगाया आठ लाख का जुर्माना
मंच ने परिवादी पर निकाले बकाया 56414 रूपए निरस्त कर उनका नाम ब्लैक लिस्ट से हटाने का आदेश दिया। बैंक पर आठ लाख का जुर्माना भी लगाया। इसमें से एक लाख रूपए परिवादी को और सात लाख रूपए राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में अदा करने होंगे। मंच बैंक को परिवादी की ओर से जमा राशि का आठ माह का ब्याज देने तथा परिवाद व्यय के रूप में पांच हजार रूपए अदा करने के आदेश दिए हैं।

इससे पहले भी उपभोक्ता मंच निजी बैंकों की कार्यशैली पर तल्ख टिप्पणियां करते हुए जुर्माना भी लगा चुका है। ताजा मामले में निजी बैंक की कार्यशैली को उपभोक्ता मंच ने बैंकिंग ही नहीं माना है। मंच ने कहा कि बैंक का रवैया उपभोक्ता को धोखा देने जैसा है।-राजस्थान पत्रिका, Monday, 12 Dec 2011 3:14:19 hrs IST

Tuesday 6 December 2011

खराब मोबाइल हैंडसेट देने पर पांच हजार का जुर्माना!

उदयपुर! ग्राहक को खराब मोबाइल हैंडसेट देने और रिपेयरिंग में भी लापरवाही के मामले में कंपनी के खिलाफ पांच हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। जिला उपभोक्ता संरक्षण मंच के पीठासीन अधिकारी शिव सिंह चौहान, सदस्य संगीता नेपालिया और वाहिद नूर कुरैशी ने यह फैसला दिया है।
इस संबंध में परिवादी शीतला मार्ग, पीडब्ल्यूडी, ऑफिस के पास रहने वाले दिनेशचंद्र शर्मा ने पेरागल मोबाइल उदियापोल और स्पाइस टेलीकॉम लिमिटेड नोयडा के प्रबंधक के खिलाफ 25 फरवरी 210 को परिवाद प्रस्तुत किया था।
क्या था मामला : परिवादी ने 1 पेरागन से एक मोबाइल 2100 रुपए में खरीदा था। एक माह बाद ही मोबाइल में खराबी आ गई थी। संबंधित दुकान के मार्फत हैंडसेट को तीन बार रिपेयरिंग को दिया। रिपेयरिंग नहीं हुई। इस पर परिवादी ने यह कार्रवाई की। आदेश : अदालत ने पेरागल मोबाइल के खिलाफ वाद अस्वीकार किया और टेलीकॉम लिमिटेड के प्रबंधक के विरुद्ध स्वीकार कर उसे 2 दो माह की अवधि में परिवादी को पांच हजार रुपए अदा करने का आदेश दिया।-03 Dec, 11, PRESSNOTE DOT IN

मूल्य सूची न लगाने पर जुर्माना!

Story Update : Thursday, December 01, 2011 12:01 AM
शिमला। नियमों को तोड़ने वाले कारोबारियों पर खाद्य आपूर्ति विभाग ने शिकंजा कस दिया है। जिला शिमला के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले एक सप्ताह के तहत खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने विभिन्न व्यापारिक प्रतिष्ठानों, होटल, ढाबों एवं अन्य दुकानों का आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत निरीक्षण किया है। सात घरेलू गैस सिलेंडरों को जब्त किया गया है।
दो कारोबारियों को पालीथिन का प्रयोग करने पर 4500 रुपये जुर्माना किया गया है। इस सप्ताह में व्यापारिक प्रतिष्ठानों में घरेलू गैस सिलेंडर का प्रयोग करने पर 49000, मूल्य सूचि प्रदर्शित न करने पर 9000 तथा हिमाचल प्रदेश ट्रेड आर्टिकल के तहत प्रतिभूति राशि के तौर पर पांच सौ रुपये की राशि सरकारी खजाने में जमा करवाई है। यह जानकारी जिला नियंत्रक खाद्य, आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले शिमला ने दी है। उन्होंने बताया कि शिमला जिला में ऐसे लोगों की धरपकड़ तेज की जा रही है। पकड़े जाने पर आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने घरेलू गैस का दुरुपयोग न करने की चेतावनी दी है।-AMAR UJALA

पथरी के ऑपरेशन में किडनी बेकार, नर्सिंग होम के खिलाफ पांच लाख जुर्माना!

उदयपुर | पथरी के ऑपरेशन के दौरान हुई गड़बड़ी से किडनी बेकार हो जाने के मामले में जिला उपभोक्ता संरक्षण मंच ने निजी नर्सिंग होम के खिलाफ पांच लाख रुपए का हर्जाना आदेश सुनाया है। यह हर्जाना नर्सिंग होम के मैनेजिंग डायरेक्टर को भरना होगा। छह साल पहले यह ऑपरेशन एक महिला के कराया गया था। 
जिला उपभोक्ता संरक्षण मंच के अध्यक्ष शिव सिंह चौहान, सदस्य संगीता नेपालिया व वाहिद नूर कुरैशी ने सोमवार को फैसला सुनाया। इस संबंध में परिवादी हाथीपोल पन्नाधाय मार्ग निवासी खातून (40) पत्नी अल्ताफ हुसैन ने सरदारपुरा स्थित कल्पना नर्सिंग होम के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. सुनील चुघ, चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष हाल, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के ब्रांच मैनेजर, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी के ब्रांच मैनेजर व नर्सिंग होम के डॉ. जावेद के खिलाफ परिवाद पेश किया गया था। 11 अप्रैल 2005 को यह परिवाद प्रस्तुत किया गया था। अदालत ने नर्सिंग होम के प्रबंध निदेशक डा. सुनील चुघ के खिलाफ ही यह परिवाद स्वीकार किया था।-29 Nov, 11 11:45, PRESSNOT DOT COM

न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी पर 90,500 का जुर्माना

मुजफ्फरनगर। मारुति कार का बीमा होने के बावजूद घर के बाहर से चोरी होने पर न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा क्लेम न देने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने कंपनी पर 90 हजार 500 रुपये जुर्माना एक माह में अदा करने के आदेश दिये हैं। उपभोक्ता पिछले पांच वर्षाें से इंश्योरेंस कंपनी अधिकारियों के चक्कर लगा रहा था।
शहर के पटेलनगर निवासी कांति राठी पुत्र रामप्रसाद ने वर्ष 2000 मॉडल मारुति कार संख्या यूपी12ई-4345 का गत 6 जून 2005 में न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी की टाउनहाल के सामने वाली शाखा में बीमा कराया था, जो 5 जून 2006 तक वैध था। उक्त मारुति कार कांति राठी के घर के बाहर से गत 7 जून 2005 की रात चोरी हो गई, जिसकी सूचना पुलिस को दी गई, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। अंत में एसीजेएम प्रथम न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। रिपोर्ट दर्ज होने पर कार मालिक द्वारा न्यू इंश्योरेंस कंपनी की टाउनहाल शाखा में संपर्क कर क्लेम मांगा। आरोप है कि कुछ दिन तक चक्कर कटवाने के बाद कंपनी शाखा के प्रबंधक ने चोरी गई कार का क्लेम देने से इंकार कर दिया। अंत में पीड़ित कार मालिक ने इस मामले में जिला उपभोक्ता फोरम में याचिका दायर की, जिसमें दोनों का पक्ष सुनने के बाद जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष एसके भट्ट व सदस्य बबली एवं मूलचंद शर्मा ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी पर चोरी गई कार की क्लेम राशि के रूप में 80 हजार, मानसिक संताप के रूप में आठ हजार रुपये एवं वाद व्यय के रूप में 2500 रुपये एक माह में अदा करने के आदेश दिये हैं।-Nov 19, 11:52 pm, jAGRAN 

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