फोरम ने 12 हजार की क्षतिपूर्ति का दिया फैसला
पीलीभीत : उपभोक्ता फोरम ने गेहूं बीज में अन्य वैरायटी मिश्रित होने से पैदावार में हुई क्षति के मामले में एक किसान को 12 हजार की क्षतिपूर्ति दिए जाने का फैसला दिया है।
पूरनपुर तहसील के ग्राम जरा निवासी कमलजीत ने किसान सेवा सहकारी समिति शिवनगर, पूरनपुर और मैसर्स जसवंती क्वालिटी सीड्स पूरनपुर के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम में वाद दायर किया था। कमलजीत ने विपक्षी पार्टी पर यह आरोप लगाया कि उसने यहां से जो गेहूं बीज खरीदा था, उसमें अन्य प्रजातियां मिली होने के कारण पैदावार को काफी नुकसान पहुंचा था। इस पर पीड़ित ने 99 हजार का दावा भी फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया था। दोनों पक्षों के बीच हुई सुनवाई के बाद फोरम ने इस मामले में फैसला सुना दिया है। जिसमें फोरम ने कमलजीत का पक्ष लेते हुए निर्णय सुनाया कि 10 हजार रुपये आर्थिक और मानसिक क्षतिपूर्ति और दो हजार रुपये वाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क के तौर पर कुल 12 हजार रुपये पीड़ित किसान को मिलना चाहिए।
स्त्रोत : जागरण, 10.12.12
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स्कूल के समीप तम्बाकू,तेरह लोगों को जुर्माना
सुपौल, जागरण प्रतिनिधि: विद्यालय के नजदीक दुकानों में तम्बाकू निर्मित सामानों की बेरोकटोक की जा रही बिक्री के बाबत पुलिस प्रशासन सजग दिखने लगा है। मंगलवार को सुपौल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ने जिला मुख्यालय स्थित चार सरकारी शिक्षण संस्थानों के पास दुकानों में छापामारी कर 13 दुकानदारों को जुर्माना किया। ये सरकारी शिक्षण संस्थान आदर्श मध्य विद्यालय, बमवि चकला निर्मली, हजारी उच्च विद्यालय व डिग्री कालेज हैं। डीएसपी मनोज कुमार ने बताया कि सरकारी संस्थानों के समीप सौ गज के दायरे में तम्बाकू निर्मित कोई भी सामान बेचना कानूनन अपराध है। इसी के मद्देनजर उक्त चारों सरकारी शिक्षण संस्थानों के पास के 13 दुकानों में छापामारी की गई जहां तम्बाकू निर्मित सामान बेचते पाया गया। उक्त सभी दुकान से सम्बन्धित दुकानदारों को दो-दो सौ रुपये जुर्माना किया गया है। इधर डीएसपी द्वारा किए गए इस छापामारी से बाजार में तम्बाकू निर्मित सामानों की बिक्री करने वाले दुकानदारों के बीच हड़कम्प मच गया और अपने-अपने दुकानों से तम्बाकू निर्मित सामानों को दुकान से बाहर अन्यत्र रख दिया।
स्त्रोत : जागरण, 11.12.12
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कंपनी ने गलती स्वीकार की गलती, 10 हजार जुर्माना
जागरण संवाद केंद्र, बहादुरगढ़ : फसल में दीमक पर नियंत्रण के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाई के सैंपल फेल होने के मामले में संबंधित कंपनी ने सोमवार को बहादुरगढ़ की अदालत में अपना गुनाह कबूल कर लिया। ऐसे में अदालत ने कानूनी तौर पर फैसला लेते हुए कंपनी पर 10 हजार रुपये जुर्माना किया है।
पिछले दिनों कंपनी की याचिका को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। कंपनी की ओर से इस याचिका में निचली अदालत में कृषि विभाग की ओर से दायर किए गए केस को खत्म करने की अपील की गई थी।
मामला तो कई वर्ष पुराना है लेकिन संबंधित कंपनी की ओर से यह याचिका दो साल पहले दायर की गई थी। जिस पर पिछले सप्ताह पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने यह फैसला दिया। कृषि विभाग की ओर से वर्ष 2003 में क्लोरोपायरीफोर्स दवाई का सैंपल लिया गया था। यह दवाई फसल में दीमक के खात्मे के लिए इस्तेमाल की जाती है। बाद में जब इस दवाई का सैंपल फेल हुआ तो कृषि विभाग की ओर से उच्चाधिकारियों की अनुमति के बाद दवाई का निर्माण करने वाली गुड़गाव की कंपनी धानुका एग्रीकेट (तब नार्दन मील्स) के खिलाफ बहादुरगढ़ की अदालत में केस दायर कर दिया था। बाद में इस कंपनी ने वर्ष 2010 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की और इसमें यह माग की गई कि निचली अदालत में उसके खिलाफ चल रहे केस को रद किया जाए। न्यायालय ने कंपनी की अपील को ठुकराते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। ऐसे में बहादुरगढ़ न्यायालय में इस केस की सुनवाई शुरू हुई तो कंपनी ने अपना गुनाह ही कबूल कर लिया। इस पर अदालत ने कंपनी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना किया।
स्त्रोत : जागरण, 12.12.12
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