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Thursday 17 November 2011

कैपिटेशन फीस मांगी तो एक करोड़ का जुर्माना

नई दिल्ली। केंद्र सरकार कैपिटेशन फीस वसूलने से लेकर कई तरह की मनमानी करने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों की लगाम कसने जा रही है। संसदीय स्थाई समिति की सिफारिशों को मानते हुए केंद्र ने इसके लिए प्रस्तावित कानून के दायरे में सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को लाने का फैसला किया है। इस कानून के बनने के बाद निजी शिक्षण संस्थानों में कैपिटेशन फीस वसूलने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा।
41 सिफारिश मानी, सात को नहीं माना
छात्रों और उनके अभिभावकों से कैपिटेशन फीस समेत विभिन्न तरह के शुल्क वसूलने वाले तकनीकी तथा चिकित्सा समेत सभी उच्च संस्थानों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। संसद में पहले से पेश यह विधेयक अब संशोधनों के साथ शीतकालीन सत्र में पारित होने के लिए सदन में लाया जाएगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को इस विधेयक को संशोधनों के साथ हरी झंडी दिखा दी गई। सरकार ने समिति की 41 सिफारिशों को स्वीकार कर लिया जबकि सात को नहीं माना।
50 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान
सरकार ने विधेयक का नाम बदल कर उच्च शिक्षा संस्थान विधेयक कर दिया है, पहले इसका नाम तकनीकी शिक्षा संस्थान, चिकित्सा शिक्षा संस्थान एवं विश्वविद्यालय में अनाचरण प्रतिबंधित विधेयक था। इसके नाम से ही जाहिर है कि अब इसके दायरे में सभी उच्च शिक्षा संस्थान होंगे। संसद में पेश विधेयक में कैपिटेशन फीस वसूलने पर 50 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर दो गुना किया जा रहा है।
शिकायतों के निवारण के लिए केंद्र बनेगा
संसद में पेश विधेयक में कुछ मामलों में जेल भेजने का भी प्रावधान है लेकिन सांसद इसका विरोध कर रहे थे। कैबिनेट ने इस मामले में किए संशोधन का खुलासा नहीं किया है। सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को छात्रों तथा शिक्षकों की शिकायतों के निवारण के लिए केंद्र बनाना होगा। इस विधेयक में शिक्षकों का शोषण रोकने का भी प्रावधान है। सरकार ने मई 2010 में यह विधेयक संसद में पेश किया था। इसे संसदीय स्थाई समिति को भेज दिया गया था। समिति ने मई 2011 में रिपोर्ट सौंप दी थी। समिति चाहती थी कि सभी उच्च उच्च शिक्षा संस्थान इसके दायरे में लाए जाएं जिसे सरकार ने मान लिया है। 
ओबीसी में चार दर्जन और जातियां
कैबिनेट ने तकरीबन बीस राज्यों की चार दर्जन से ज्यादा जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी है। इससे इन जातियों को केंद्र सरकार की नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक नेशनल कमीशन फॉर बैकवार्ड क्लासेज ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और गोवा सहित बीस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 70 से ज्यादा जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी।-स्त्रोत/साभार : अमर उजाला ब्यूरो, १७.११.११ 

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